Lord Shiva: शिव जी के 11 अनमोल वचन जो आपका भी बदल देंगे नजरिया
महाशिवरात्रि के मौके पर हर कोई शिवजी में लीन है। ऐसे में आज हम आपके लिए शिव जी (Lord Shiva) के 11 अनमोल वचन लाए है जो आपका आपकी जिंदगी की तरफ देखने का नजरिया बदल देगा। इन वचनों से बहुत लोगों का उद्धार हुआ है। बतादें की शिव जी के अनमोल वचनो को ‘आगम ग्रंथों’ का नाम दिया गया है। आइए आपको उन वचनों से साझा करवाते है।
पहला वचन -कल्पना ज्ञान से महत्वपूर्ण
अर्थ – हम जो भी सोचते है वही रूप पाते है। यानी कि हमें जिंदगी में जो भी मिल रहा है वो सब हमारी कल्पनाओं का ही फल है। अगर आप जीतने की चाह रखते है तो आप जीत अवश्य पाते है।
दूसरा वचन-बदलाव के लिए जरूरी है ध्यान
अर्थ -अगर आपको जिंदगी में कैसा भी बदलाव चाहिए तो आपको छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देना होगा। सिर्फ कहने से नहीं बल्कि करने से ही बदलाव आएगा।
तीसरा वचन-शून्य में प्रवेश करो
अर्थ -शिव जी (Lord Shiva) कहते है कि ‘आधारहीन, शाश्वत, निश्चल आकाश में प्रविष्ट होओ।’ उनका कहना है कि अपना सब शून्य में त्याग दो।
चौथा वचन-आदमी पशुवत है
अर्थ -जबतक इंसान में राग, द्वेष, ईर्ष्या, वैमनस्य, अपमान तथा हिंसा जैसी कई कमियां है तबतक इंसान और पशु में कोई फर्क नहीं। ऐसा है मानों की इंसान का कभी विकास हुआ ही नहीं है।
पांचवा वचन- मरना सीखो
अर्थ – यदि जिंदगी में कुछ सीखना है तो मरना सीखो। जो मरना सीख जाता है वही सुंदर ढंग से जीना जानता है।
छठा वचन-गायत्री मंत्र
अर्थ -एक बार पार्वती मां ने पुछा था कि हे शिव आप कौन-सा योग करते है ? तब उन्होंने गायत्री मंत्र का उल्लेख किया था।
सातवां वचन -जीवन को सुखमयी बनाने के लिए
अर्थ -भोजन और पान से होने वाला उल्लास, रस और आनंद से पूर्णता की अवस्था की भावना भरें, यही असली खुशी है।
आठवां वचन-प्रकृति का सम्मान करो
अर्थ -प्रकृति ने ही हमें जीवन दिया है हमें प्रकृति का सम्मान करना चाहिए।
नौवा वचन-योग की शक्ति को समझो
विस्मयो योगभूमिका:।
स्वपदंशक्ति।
वितर्क आत्मज्ञानमू।
लोकानन्द: समाधिसुखम्। -शिवसूत्र
अर्थ -यह वचन तो अपने आप में जीवन का एक अर्थ है।
दसवां वचन -अपनी तरफ देखो
अर्थ – न तो पीछे, न आगे। कोई तुम्हारा नहीं है। कोई बेटा तुम्हें नहीं भर सकेगा। कोई संबंध तुम्हारी आत्मा नहीं बन सकता। तुम्हारे अतिरिक्त तुम्हारा कोई मित्र नहीं है। -शिवसूत्र
ग्यारवाह वचन-माया को समझो
आत्मा चित्तम्।
कलादीनां तत्वानामविवेको माया।
मोहावरणात् सिद्धि:।
जाग्रद् द्वितीय कर:। -शिवसूत्र