इस गांव में बनेगी भगवान राम की 251 मीटर ऊंची प्रतिमा, निमार्ण में स्वदेशी चीजें होंगी इस्तेमाल
आखिरकार, अयोध्या प्रशासन द्वारा ग्राम मांजा बरहटा जो अयोध्या से लगभग 3 किलोमीटर की दुरी पर है, वहां 251 फीट की भगवान राम की सबसे बड़ी प्रतिमा बनाई जाएगी। ऐसा कहा जा रहा है कि यह मूर्ति दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति होगी। इससे पहले एक और मूर्ति है जो बेहद ही फेमस है, जो भगवान् बुद्ध की है और वो लगभग 208 मीटर ऊँची है।
भारत में बनी सरदार सरदार पटेल की प्रतिमा जिसे लोग Statue of unity के नाम से जानते हैं, उसकी ऊंचाई भी लगभग 182 मीटर है। राज्य सरकार से मंजूरी के बाद, अयोध्या के जिला मजिस्ट्रेट अनुज झा ने सरयू नदी के तट पर ग्राम मंझा बरहटा में 85.977 हेक्टेयर भूमि के अधिग्रहण की अधिसूचना जारी की।
जैसा की हम सभी जानते हैं की आने वाले 5 अगस्त को राम मंदिर के लिए भूमि पूजन किया जाएगा। इस पूजन के बाद ही मंदिर निर्माण का कार्य भी शुरू हो जाएगा। इस वक्त योगी सरकार किसी भी तरह से उत्तर प्रदेश और इसके जिले अयोध्या को पूरी तरह से विकास के कार्य में जुटी हुई है। जल्द से जल्द इस प्रतिमा निर्माण का कार्य शुरू किया जाएगा। इसलिए अयोध्या के सबसे निकटम गाँव मांझा बरेठा को चुना गया है, यहां लगभग 251 फीट ऊंची प्रतिमा बनाई जानी हैं।
आपको बता दें कि भगवान् राम की प्रतिमा होगी जो पूरी तरह से स्वदेशी उत्पादों की मदद से तैयार की जाएगी। फिलहाल गाँव में मूर्ति निर्माण से पहले उसके लिए जमीन के अधिगृहण का काम भी साथ साथ चल रहा है।
प्रतिमा बनाने का कार्य प्रगति पर
प्रतिमा निर्माण का कार्यभार राम सुतार और उनके बेटे को दिया गया है। ये व्ही आदमी हैं जिन्होंने गुजरात में सरदार पटेल की प्रतिमा का निर्माण डिजाइन टैटार किया था। आपको बता दें कि राम सुतार इस से पहले 15000 मूर्तियों का निर्माण कर चुके हैं। अपने खूबसूरत और आकर्षक डिजाइन के लिए उन्हें पद्म भूषण और पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।
मूर्ति का बेस होगा 50 मीटर ऊँचा
सरयू नदी के किनारे इस मूर्ति का निर्माण किया जाएगा। जिसकी ऊंचाई 251 मीटर है और यह 50 मीटर ऊंचे बेस पर खड़ी होगी। यानी 251 मीटर + 50 मीटर तो यह प्रतिमा 301 की ऊंचाई को पार करेगी। इतना ही नहीं बेस में नीचे संग्राहलय भी बनाया जाएगा। तकनीकों के माध्यम से यहां भगवन राम और उनके अवतारों के बारे में विशेष जानकारी भी दी जाएगी। यानी की एक डिजिटल म्यूजियम की स्थापना भी यही पर होगी।

गांव वालों का क्या है कहना
इस बारे में गाँव वालों से जब बातचीत की गई तो उनकी आँखों में खुशी भी थी और बेघर होने का डर भी साफ़ दिखाई दे रहा था। यह बहुत ही ही छोटा गाँव हैं जहँ लगभग ४०० परिवार रहते हैं और इस गांव में 70 फीसदी आबादी पिछड़े वर्ग की है। उन्हें मंदिर बनने की ख़ुशी तो हैं लेकिन जब निर्माण कार्य शुरू होगा तो वो अपना घर छोड़ कर जाने के डर से भी परेशान है।

गाँव के अरविन्द कुमार का कहना है कि मूर्ति स्थापना से गाँव का विकास भी होगा। लेकिन जो सालों से नहीं पीढ़ियों से यहां रह रह लोग हैं उन्हें अपना घर छोड़ कर अब यहां से कहीं और जाना होगा।
इतना ही नहीं गांव के प्रधान रामचंद्र यादव का कहना है कि इस गाँव की मिटटी बेहद ही उपजाऊ है, जहाँ प्रतिमा का निर्माण होना है। सरयू के किनारे बसा यह गाँव पूरी तरह से खेती पर ही निर्भर है। उनका मानना है कि बिना यहां के लोगों की अनुमति के जमीन नहीं लेनी चाहिए।