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Apple ने भारत में यूरोप के जैसे iPhone के चार्जिंग रूल पर दी चेतावनी

Samsung सहित लगभग सभी स्मार्टफोन मेकर्स ने इसके लिए सहमति दी है

अमेरिकी डिवाइसेज मेकर Apple ने केंद्र सरकार से कहा है कि अगर देश में यूरोपियन यूनियन (EU) के समान मौजूदा iPhones के लिए यूनिवर्सल चार्जिंग पोर्ट का रूल लागू किया जाता है तो उसके प्रोडक्शन के टारगेट पर असर पड़ेगा। देश में स्मार्टफोन्स के लिए USB-C चार्जिंग पोर्ट अनिवार्य करने के रूल को लागू करने की तैयारी की जा रही है।

Reuters की रिपोर्ट में सरकार के एक दस्तावेज के हवाले से बताया गया है कि Apple इस रूल में छूट या इसे टालने के लिए लॉबीइंग कर रही है। EU में यह रूल लागू होने के छह महीने बाद जून 2025 में सरकार इसे देश में अनिवार्य करना चाहती है। Samsung सहित लगभग सभी स्मार्टफोन मेकर्स ने इसके लिए सहमति दी है। हालांकि, एपल इसके पक्ष में नहीं है। आईफोन्स में वर्षों से एक अलग लाइटनिंग कनेक्टर पोर्ट का इस्तेमाल होता है। EU का अनुमान है कि सिंगल चार्जिंग सॉल्यूशन से कस्टमर्स के लगभग 27.1 करोड़ डॉलर की बचत होगी। भारत में इससे इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट को घटाने में आसानी होगी और आईफोन इस्तेमाल करने वालों को भी सुविधा मिलेगी।

एपल ने पिछले महीने के अंत में IT मिनिस्ट्री के साथ की थी बातचीत

एपल ने पिछले महीने के अंत में IT मिनिस्ट्री के साथ एक मीटिंग में अधिकारियों से मौजूदा आईफोन मॉडल्स को इस रूल से छूट देने के लिए कहा था। कंपनी ने चेतावनी दी थी कि अगर ऐसा नहीं हुआ तो उसे प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत प्रोडक्शन का टारगेट पूरा करने में मुश्किल होगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लिए PLI एक महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट है। इसमें देश में स्मार्टफोन्स कंपनियों सहित इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स को नए इनवेस्टमेंट के लिए इंसेंटिव दिए जाते हैं। इस स्कीम का फायदा उठाने के लिए एपल के Foxconn जैसे सप्लायर्स ने देश में iphone का प्रोडक्शन बढ़ाया है।

इस बारे में Reuters की ओर से IT मिनिस्ट्री और एपल को टिप्पणी के लिए भेजे गए निवेदन का उत्तर नहीं मिला है। Foxconn ने देश में 1.5 अरब डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) का इनवेस्टमेंट करने की योजना बनाई है। इसने तमिलनाडु की अपनी फैक्टरी में वर्कर्स को ट्रेनिंग देने के लिए चाइनीज इंजीनियर्स को भी भेजा था। हाल ही में देश में फॉक्सकॉन के प्रतिनिधि ने बताया था कि कंपनी का लक्ष्य अगले वर्ष तक अपने इनवेस्टमेंट और वर्कफोर्स को दोगुना करने का है। यह चीन के बाहर अपने प्रोडक्शन को डायवर्सिफाइ करना चाहती है।

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