CM Arvind Kejriwal

GNCTD Amendment Bill के पारित होने पर CM Arvind Kejriwal ने जताई निराशा; कहा- लोकतंत्र के लिए काला दिन

राज्यसभा द्वारा सोमवार को दिल्ली सरकार के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र GNCTD Amendment Bill को पारित किया गया था। विधेयक के पारित होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री Arvind Kejriwal ने बुधवार शाम को अपनी निराशा व्यक्त की। अपनी निराशा जाहिर करने के लिए उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लिया।

Arvind Kejriwal ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट ट्विटर पर पोस्ट साझा करते हुए लिखा कि “भारतीय लोकतंत्र के लिए यह एक दुखद दिन है।” उन्होने इस बात पर जोर दिया कि आम आदमी पार्टी लोगों को सत्ता वापस दिलाने के लिए संघर्ष जारी रखेगी। यहाँ तक की उन्होने लोगों को आश्वस्त दिया कि उनकी सरकार “अच्छा काम करती रहेगी” और “काम न तो रुकेगा और न ही धीमा होगा।”

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी हिंदी में ट्वीट किया, आज का दिन लोकतंत्र के लिए काला दिन है। दिल्ली की जनता द्वारा चुनी हुई सरकार के अधिकारों को छीन कर एलजी के हाथ में सौंप दिया गया। विडंबना देखिए कि लोकतंत्र की हत्या के लिए संसद को चुना गया जो हमारे लोकतंत्र का मंदिर है।दिल्ली की जनता इस तानाशाही के खिलाफ लड़ेगी। 

GNCTD Amendment Bill को सोमवार को लोकसभा में पारित किया गया था। इस विधेयक को राज्यसभा में ध्वनिमत से पारित किया गया था। सदन में विधेयक पारित को लेकट उठाए गए इस कदम का जोरदार विरोध भी किया गया। कांग्रेस और समाजवादी पार्टी जैसे दलों के संसद सदस्यों ने भी वॉकआउट किया।

इससे पहले, राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को “असंवैधानिक” कहा था और साथ ही उन्होंने इसे विधेयक बिल को आगे की जांच के लिए एक प्रवर समिति को भेजने की मांग की।

दूसरी ओर, बिल की वस्तुओं के कथन में कहा गया है, “उक्त विधेयक विधायिका और कार्यपालिका के बीच सामंजस्यपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देगा, और आगे चुनी हुई सरकार और एलजी की जिम्मेदारियों को परिभाषित करेगा, जो कि शासन की संवैधानिक योजना के अनुरूप है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा व्याख्या की गई है।”

GNCTD Amendment Bill

GNCTD संशोधन विधेयक क्या है?

GNCTD Amendment Bill के बारे में जानकारी दें, तो बिल दिल्ली के उपराज्यपाल की शक्तियों को बढ़ाने के लिए लाया गया है। यह बिल भारत के राष्ट्रपति द्वारा चुनी गई सरकार पर नियुक्त करना चाहता है।

विधेयक के मुताबिक़ किसी भी कार्यकारी कार्रवाई करने से पहले निर्वाचित सरकार को एल-जी से परामर्श करना अनिवार्य होगा। इस बिल का मतलब दिल्ली में ‘सरकार’ का अर्थ ‘उपराज्यपाल’ से है। नया पारित हुआ विधेयक दिल्ली सरकार को विधायी प्रस्तावों को L-G में कम से कम एक पखवाड़े पहले भेजने का निर्देश देता है।

इन प्रावधानों के परिणामस्वरूप दिल्ली की निर्वाचित सरकार और मुख्यमंत्री में निहित शक्तियों का एक पर्दा हो सकता है।

आपको बता दें, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला सुनाया था जिसमें उन्होंने कहा था कि दिल्ली की निर्वाचित सरकार को प्रशासन के दैनिक मामलों पर एल-जी की सहमति की जरुरत नहीं है, लेकिन सूचित करने की जरुरत जरूर है।

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