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Corona Vaccine “Covaxin” को मानव परीक्षण के लिए मिली मंजूरी, सरकार ने कहा – ये ‘अंत की शुरुआत’ का संकेत है

सरकार ने आज भारत द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन की मानव ट्रायल पर मजूरी दे दी है। सरकार ने ये भी कहा किCOVID​​-19 के खिलाफ लड़ने वाली यह वैक्सीन ‘अंत की शुरुआत’ को चिह्नित करती है। कोरोना वैक्सीन जिसका नाम Covaxin है…को हैदराबाद स्थित Bharat Biotech International Limited ने ICMR और National Institute of Virology (NIV) और ZyCov-D वैक्सीन के साथ मिलकर ज़ीउस कैडिला द्वारा विकसित किया गया था। हाल ही में इस दवा को भारत के Drug Controller General से मानव नैदानिक ​​के लिए मंजूरी मिली थी। दोनों को द्वितीय चरण, तृतीय परीक्षणों के लिए अनुमोदित किया गया है।

Ministry of Science and Technology के एक पत्र में उल्लेख किया गया है, “टीके के लिए मानव परीक्षण के संचालन के लिए Drug Controller General of India (CDSCO) (सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन) द्वारा की अंत की शुरुआत का संकेत है।

अगर हम भारत की बात करें तो यहां COVID -19 संक्रमण को ठीक करने के लिए 140 से अधिक उम्मीदवार टीके, विकास के विभिन्न चरणों से गुजर रहे हैं। दो भारतीय टीका उम्मीदवारों सहित 11 वैक्सीन उम्मीदवारों ने मानव परीक्षण चरण में प्रवेश किया है।

प्रमुख उम्मीदवारों में से एक AZD1222 Oxford University के जेनर इंस्टीट्यूट विकसित किया है और कैंब्रिज, इंग्लैंड में मुख्यालय एस्ट्राजेनेका ब्रिटिश-स्वीडिश बहुराष्ट्रीय दवा और जैव-फार्मास्युटिकल कंपनी को लाइसेंस दिया है। कैसर परमानेंट वाशिंगटन हेल्थ रिसर्च इंस्टीट्यूट, वाशिंगटन द्वारा विकसित MRNA-1273 वैक्सीन और अमेरिका स्थित मॉडर्न फार्मास्युटिकल द्वारा उत्पादन के लिए लिया गया कदम सिर्फ एक कदम पीछे है। सरकार ने कहा, “इन दोनों फर्मों ने पहले ही COVID टीकों के उत्पादन के लिए भारतीय निर्माताओं के साथ एक समझौता किया है।”

मंत्रालय ने इस विषय में भारत के प्रयासों की जमकर तारीफ़ की। मंत्रालय ने कहा कि भारत हाल हीउ के कुछ वर्षों में एक टीका निर्माण हब के रूप में उभरा है। भारतीय निर्माता यूनिसेफ को में टीकों उत्पादन और की आपूर्ति का 60% हिस्सा भारत का है।” इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि भले ही कोरोनवायरस की वैकसीन दुनिया में कहीं भी विकसित की जाए, लेकिन आवश्यक मात्रा के उत्पादन भारत में ही किया जा सकता है।

भारत में टीकों के विकास के लिए ऐसे बहुत से संस्थान है, जो लगातार रिसर्च और डेवलपमेंट के काम में लगे हुए हैं। मंत्रालय ने अपने पत्र में यह साफ़ जाहिर किया है कि छः भारतीय कंपनियां टीके पर काम कर रही हैं। 

वैक्सीन काम कैसे करती है:

यह दवा वायरस को गर्मी या फॉर्मेल्डिहाइड की मदद से निष्क्रिय कर सकती है, ऐसा  करने के बाद भी एंटीजन आणविक अभी भी बरकरार रखें जा सकते हैं। हालांकि, निष्क्रिय वायरस बीमारी को संक्रमित या पैदा करने में सक्षम नहीं होगा, क्योंकि यह अब कार्यात्मक नहीं है।

मंत्रालय ने कहा, “Bharat Biotech के Covaxin ने निष्क्रिय विषाणु वैक्सीन विकसित करने के लिए National Institute of Virology द्वारा एक भारतीय मरीज से अलग किए गए वायरस का उपयोग किया है।”

इससे पहले भी भारत बायोटेक कंपनी पोलियो, रोटावायरस, जापानी इंसेफेलाइटिस और जीका वायरस से लड़ने वाली वैक्सीन का निर्माण कर चुकी है।

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