Greta Thunberg टूलकिट मामले में दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु से Disha Ravi को किया गिरफ्तार
दिल्ली पुलिस के एक विशेष प्रकोष्ठ ने शनिवार (13 फरवरी) को Greta Thunberg टूलकिट मामले में एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। इस केस के सिलसिले में दिल्ली पुलिस ने बेंगलुरु से Disha Ravi नामक की 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता को गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक़, दिशा रवि ने पत्रिका को संपादित किया और फिर इसे दूसरों को भेज दिया।
बता दें कि ग्रीटा द्वारा टूलकिट शेयर करने के बाद से ही दिल्ली पुलिस इस मामले की जांच में जुटी थी और उन लेखकों के आईपी एड्रेस का पता लगाने की कोशिश कर रही थी, जिन्होंने दिल्ली सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन को भड़काने के लिए विदेशों से ट्वीट करवाए थे। इसके लिए दिल्ली पुलिस के साइबर ब्रांच ने Google से मदद मांगी ताकि टूलकिट को शेयर करने वाले का आईपी एड्रेस मिल सके।
जानकारी निकालने पर सामने आया है कि Disha Ravi ‘फ्राइडे फॉर फ्यूचर’ अभियान के संस्थापकों में से एक हैं। दिल्ली पुलिस ने 4 फरवरी को Greta Thunberg द्वारा ट्विटर पर साझा किए गए टूलकिट को साझा करने का मामला दर्ज किया था।

Greta Thunberg ने एक बार नहीं बल्कि दो बार टूलकिट साझा की थी। किशोर स्वीडिश जलवायु कार्यकर्ता Greta Thunberg ने किसानों के समर्थन में एक ‘टूलकिट’ साझा की थी जिसमें उन्होंने लोगों को सलाह दी कि भारत के लोग देश में चल रहे तीन कृषि कानूनों के खिलाफ अपना समर्थन कैसे दिखा सकते हैं। इसमें उन्होंने पूरी टूलकिट ही साझा की थी, जिसमें बताया गया था कि किसे टैग करना है और क्या लिखना है। बाद में, Greta Thunberg ने उस लिंक को हटा दिया था और फिर से एक और नया टूलकिट अपलोड किया।
Greta Thunberg ने जो टूलकिट साझा की थी, उसमें 26 जनवरी के विरोध और ऑनलाइन और सड़क के विरोध के विवरण शामिल थे। टूलकिट में यह साफ़ लिखा था कि लोगों को कैसे सभी लोग अपने ट्वीट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को नए खेत कानूनों के खिलाफ टैग करने के लिए समझाना है।
इसके साथ ही इस टूलकिट में यह भी बताया गया है कि विदेशों में भारतीय मिशनों, मीडिया हाउसों, सरकारी इमारतों और यहां तक कि अडानी-अंबानी कार्यालयों के बाहर कैसे और कहां विरोध प्रदर्शन किया जाना चाहिए।
बता दें, कि Greta Thunberg ने जो टूलकिट साझा की है उसका मूल डॉक्यूमेंट अब नष्ट हो चुका है, जिसमें किसानों के समर्थन में 26 जनवरी पहले डिजिटल हड़ताल का आह्वान किया गया था।