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Sadak 2 Movie review in Hindi: बहुत ही उबाऊ है फिल्म सड़क 2 की यात्रा

Sadak 2 Movie review in Hindi: “सड़क 2” आज डिज्नी+ होस्टर पर आज रिलीज हो गई है। कोरोना महामारी के चलते काफी समय से सभी सिनेमाघर बंद पड़े हैं। जिस कारण से बहुत सी फ़िल्में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर रिलीज की गई हैं। कुछ समय पहले फिल्म दिल बेचारा, खुदा हाफ़िज़ और लूटकेस भी हॉटस्टार पर रिलीज की गई थी। फिल्म सड़क २ की बात करें तो यह फिल्म 1991 में आई फिल्म ‘सड़क’ का सीक्वल पार्ट है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें इस फिल्म का पिछली फिल्म की कहानी से कोई कनेक्शन नहीं है। ये एकदम नयी स्टोरी है और इस बार इसमें मुख्य भूमिका में संजय दत्त, आलिया भट्ट और आदित्य रॉय कपूर में नजर आएंगें।

Sadak 2 की कहानी: फिल्म की कहानी देसाई ग्रुप ऑफ इंडस्ट्रीज की अकेली वारिस आर्या (आलिया भट्ट) से जुडी हुई है। आर्य की मां शकुंतला देसाई की मृत्यु किसी रहस्य से जुडी है। आर्या अपनी मां को न्याय दिलाना चाहती है और उसके मन में अपनी मां के हत्यारे से बदला लेने की आग है जिसके लिए वो अपना घर छोड़कर तलाश में निकल चुकी है। अपनी मां के कैलाश जाने की इच्छा को पूरी करने के लिए वो सड़क यात्रा पर निकली है। आर्या की सौतेली मां यानी कि उसकी मौसी नंदिनी और पिता योगेश किसी ढोंगी धर्मगुरु ज्ञान प्रकाश के वश में है और आर्य को लगता है उसकी मां की मौत के पीछे भी ये पाखंडी है। उसका असली चेहरा सामने लाने के लिए आर्य सोशल मीडिया कैंपेन चलाती है और इसी दौरान उसे म्यूजिशन विशाल (आदित्य रॉय कपूर) से प्यार हो जाता है और वो उसके साथ अपने 21वें जन्मदिन पर कैलाश की यात्रा के लिए निकल पड़ती है। आर्या ने पूजा ट्रैवेल्स से गाड़ी बुक की है जिसका ड्राइवर रवि यानी की (संजय दत्त) है। अपनी पत्नी पूजा (पूजा भट्ट) की मृत्यु से  अभी तक वो उभर नहीं पाया है। लेकिन इस यात्रा के दौरान उसे आर्या से लगाव हो जाता है और वो उसे अपना मानकर मदद करता है। क्या आर्य उस पांखण्डी का सच सबके सामने ला पाएगी क्या उसकी मां का हत्यारा उसे मिल जाएगा। आगे की कहानी जानने के लिए आप फिल्म देख सकते हैं।

Sadak 2 Movie review in Hindi: सड़क 2 की कहानी की बात करें तो इसकी शुरुआत ही काफी बोरिंग है जिसमें रोना धोबा और उदासी है। कहानी की सड़क किस मोड़ पर जाती है पता ही नहीं चलता। ट्विस्ट भी ऐसे हैं जो आपको लॉजिक वाले नहीं लगते। ऐसा लगता है कि एक  बकवास कहानी को बस जबरन घसीटा जा रहा है। ऐसा लगता है कि कहानी को ढंग से ना ही लिखा गया है और ना ही एक्टिंग पर काम किया गया है। आपको कहानी में एक पल के लिए भी मजा नहीं आता। अगर यह फिल्म थिएटर में लगी होती तो यकीनन लोग फिल्म आधे में ही छोड़ आते। 

एक्टिंग में आलिया भट्ट ने भी इस बार ऑडिएंस को निराश किया है हालंकि उनके कुछ कुछ इमोशनल सीन अच्छे हैं। वही संजय दत्त ने शानदार एक्टिंग की है लेकिन उनके किरदार में इतना दम नहीं है, क्योंकि उसकी सीमाएं हैं। आदित्य रॉय कपूर को फिल्म में कुछ ख़ास करने को नहीं मिला और बाकी कलाकारों ने बहुत ही ज्यादा ओवर एक्टिंग की है।

कुल मिलकार यह फिल्म कुछ खास नहीं है जैसा की इसकी पहली फिल्म सड़क थी। दर्शक भी इस फिल्म के खिलाफ हैं। सुशांत सिंह राजपूत की मृत्यु के बाद से नेपोटिजम को लेकर लोग गुस्साए हैं और फिल्म के ट्रेलर को भी 5 मिल्यन से ज्यादा डिस्लाइक मिले थे।

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