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Gulabo Sitabo Movie Review in Hindi: दो लोगों के लालच की कहानी है फिल्म गुलाबो सीताबो

Amazon Prime Video पर आज फिल्म Gulabo Sitabo रिलीज हुई है। बॉलीवुड की यह पहली फिल्म है जो डिजिटल प्लेटफॉर्म पर लॉक डाउन के कारण रिलीज की गई है। फिल्म के ट्रेलर आने के बाद से लोग बेसब्री से इस फिल्म का इन्तजार कर रहे थे। फिलहाल अब दर्शकों का इंताजर खत्म हो चुका है। फिल्म Gulabo Sitabo फातिमा महल में रहने वाले लोगों की कहानी है। यह पूरी कहानी महल के मालिक गुलाबो यानी Amitabh Bachchan और उसके किराएदार बांके रस्तोगी (Ayushman Khurana) के आस पास घूमती है। दोनों के बीच संबंध अच्छे नहीं है और इसी बात का फायदा दूसरे लोग उठाना चाहते हैं। आइए जानते है फिल्म की कहानी क्या कहती है। 

Gulabo Sitabo Movie Review in Hindi: कहानी शुरू होती है लखनऊ में मौजूद एक हवेली से, जो 100 साल से भी अधिक पुरानी है और गिरने की कगार पर है। यह कई परिवार किराए पर रहते हैं। कमरों का किराया 30 से 70 रुपए हैं। लेकिन एक और किरायेदार हैं जो न तो किराया देता है और ना ही इस हवेली को छोड़ना चाहता है। अगर उसे जाने को कहा जाए तो वो हमेशा बहाना बनाता है कि गरीब होने के कारण उसके पास पैसे नहीं है। 

78 साल का मिर्जा (Amitabh Bachchan) बहुत ही लालची, झगड़ालू और कंजूस स्वभाव का है। वह अपनी इस हवेली का कानूनी मालिक बनना चाहता है। इतना लालची है की महल की एंटीक चीजों को भी बेच देता है। वहीँ दूसरी और बांके रस्तोगी भी कम लालची नहीं है। वह अपनी माँ और तीन बहनों के साथ हवेली में रहता है। मात्र 6 कक्षा तक पढ़ा होने के कारण एक आटा चक्की की कमाई से अपना घर चलाता है। मिर्जा अपने महल से रस्तोगी परिवार को किराए देने की वजह से निकालना चाहता है और उसके लिए हर संभव प्रयास करता है। 

Amitabh-Bachchan

अंत में मिर्ज़ा एक वकील के साथ हाथ मिलाता है और निर्णय लेता है कि वो अब इस  हवेली को बेच देगा। वहीँ दूसरी और बांके की प्लानिंग भी जबरदस्त है। वो LIG Flat पाना चाहता है और इसी लालच में आकर वो आर्कियोलॉजी विभाग के एक अधिकारी से मिलकर इसे पुरातत्व विभाग को सौंपने की योजना बना रहा है। आगे किसका लालच पूरा होगा ये तो आपको फिल्म देखकर पता लगाना होगा।

क्यों देखें फिल्म Gulabo Sitabo

फिल्म में पहली बार Amitabh Bachchan और Ayushman Khurana ने एक साथ काम किया है। दोनों की जोड़ी दमदार है और दोनों की एक्टिंग के बारे में कुछ कहने की जरुरत ही नहीं है। शानदार अभिनय और छोटे शहर की रोमांचक कहानी  देखने के लिए फिल्म जरूर देखें। 

क्या हैं कमियां

फिल्म की कहानी है तो मजेदार लेकिन लेखक जूही चतुर्वेदी ने  फिल्म की आधी कहानी तो दोनों की अनबन में ही लगा दी। जिससे यह फिल्म  लम्बी और उबाऊ हो जाती है। लेकिन फिल्म का अंत बहुत मजेदार है। लेकिन अंत में आने वाले ट्विस्ट को देखने के लिए आपको थोड़ा सब्र बनाए रखना होगा।

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