Mars

Mars पर इस ईंट से बनेंगे घर! वैज्ञानिकों ने आलू और नमक की मदद से बनाई ‘कॉस्मिक कंक्रीट’

पूरी दुनिया के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर खोज कर रहे हैं

पूरी दुनिया के वैज्ञानिक मंगल ग्रह पर खोज कर रहे हैं। पृथ्‍वी के बाद चंद्रमा और मंगल ग्रह (Mars) दो ऐसी जगहें हैं, जहां स्‍पेस एजेंसियों की नजर है। उन्‍हें उम्‍मीद है कि मंगल ग्रह (Mars) पर जीवन की संभावना से जुड़े सबूत मिल सकते हैं। भविष्‍य में मंगल ग्रह पर किस तरह से इंसान को भेजा जाए, वहां इंसानी बस्‍ती बसाने के लिए क्‍या किया जाए, इस पर भी काम चल रहा है। अब मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक अहम खोज की है। उन्‍होंने एक मटीरियल तैयार किया है, जिसे ‘स्टारक्रीट’ (StarCrete) नाम दिया गया है। यह एक कंक्रीट है, जिसका इस्‍तेमाल मंगल ग्रह पर घर बनाने के लिए किया जा सकता है। आपको हैरानी होगी जानकर कि इस ईंट को बनाने में आलू में पाया जाने वाला स्‍टार्च, नमक और मंगल ग्रह की मिट्टी का इस्‍तेमाल हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों का मानना है कि अंतरिक्ष में कोई इन्‍फ्रास्‍ट्रक्‍चर तैयार करना मुश्किल और महंगा है। भविष्‍य में अंतरिक्ष निर्माण के मामले में आसान मटीरियल पर भरोसा करना होगा। मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों को लगता है कि ‘स्टारक्रीट’ इसका समाधान हो सकता है। इस कंक्रीट को बनाने के लिए वैज्ञानिकों ने मंगल ग्रह में पाई जाने वाली मिट्टी का नकली वर्जन तैयार किया। फ‍िर उसमें आलू में पाए जाने वाले स्‍टार्च और चुटकी भर नमक को मिलाया गया।

वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्‍होंने जो कंक्रीट या कहें ईंट तैयार की, वह आम कंक्रीट से दोगुनी मजबूत है

scientists का दावा है कि उन्‍होंने जो कंक्रीट या कहें ईंट तैयार की, वह आम कंक्रीट से दोगुनी मजबूत है। यह मंगल ग्रह (Mars) पर निर्माण के लिए बेहतर है। वैज्ञानिकों का आर्टिकल ओपन इंजीनियरिंग में पब्लिश हुआ है। रिसर्च टीम ने बताया है कि आलू में पाया जाने वाला स्‍टार्च, मंगल ग्रह की नकली धूल के साथ मिलाने पर कंक्रीट को मजबूती देता है। यह सामान्‍य कंक्रीट से दोगुना और चांद की धूल से बनाई गईं कंक्रीट से कई गुना मजबूत है।

वैज्ञानिकों ने अपनी कैलकुलेशन में पाया कि 25 किलो डीहाइड्रेटेड आलू में 500 किलो ‘स्टारक्रीट’ बनाने के लिए पर्याप्‍त स्‍टार्च होता है। यानी उससे लगभग 213 से ज्‍यादा ईंट बन सकती हैं। वैज्ञानिकों की टीम अब इस ईंट को हकीकत बनाना चाहती है, मतलब उसके उत्‍पादन को आमलीजामा पहनाना चाहती है। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी ईंट अगर पृथ्‍वी पर भी इस्‍तेमाल की जाए, तो कार्बन उत्‍सर्जन में कमी लाई जा सकती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्‍लोबल CO2 उत्सर्जन में सीमेंट और कंक्रीट का योगदान लगभग 8% है। सामान्‍य ईंट बनाने में जहां बहुत अधिक तापमान का इस्‍तेमाल होता है, वहीं ‘स्टारक्रीट’ को ओवन के टेंपरेचर पर तैयार किया जा सकता है।

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