Sri-Krishna-Janmashtami

वो जगह जहां भगवान कृष्ण ने दुर्योधन के मेवे को त्याग कर खाया था बथुए का साग, Sri Krishna Janmashtami पर लगती है लाखों लोगों की भीड़

कहते हैं भगवान् की लीला अपरम्पार है। वो कब क्या कर दें ये कोई नहीं जानता। भगवान् किसी चढ़ावे के नहीं बल्कि प्रेम के भूखे होते हैं। आज Sri Krishna Janmashtami 2020 है। पूरा देश इस उत्सव को बड़े धूमधाम से मनाता है। भारत के उत्तर प्रदेश में करिहं के जन्म से कई दिन पहले ही उत्सव की तैयारियां शुरू हो जाती है। मथुरा, वृन्दावन और गोकुल के अलावा भी एक ऐसी जगह है जहाँ जन्माष्टमी के पर्व पर काफी भीड़ देखी जाती है। वो जगह है जनपद बिजनौर में जहाँ पर एक विदुर कुटी स्तिथ है। यह एक बड़ी ही ऐतिहासिक जगह है। ये वही जगह है जहां पर भगवान् श्रीकृष्ण ने दुर्योधन का मेवे को त्याग कर महात्मा विदुर के यहां बथुए का साग  खाना पसंद किया था। इस चीज का वर्णन महाभारत में भी किया गया है।

इस जगह पर आज भी लोग श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के दिन देश के कोने-कोने से आते हैं और इस जश्न में शामिल होते हैं। इस वर्ष भी इस उत्सव की तैयारी जोरो शोरों से चल रही है।

ऐसी मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण विदुर कुटी में विदुर काका से मिलने आए थे। महाभारत में लिखी कुछ पंक्ति इस प्रकार है कि ‘दुर्योधन की मेवा त्यागी साग विदुर घर खायो!’ 

Sri Krishna Janmashtami 2020: महाभारत के अनुसार विदुर युद्ध के खिलाफ थे, वो नहीं चाहते थे कि इस युद्ध को लड़ा जाए। इस बात का उन्होंने विरोध भी किया। उन्होंने धृतराष्ट्र से इस युद्ध के शुरू होने से पहले इसे रोकने का बहुत अनुरोध किया लेकिन धृतराष्ट्र पुत्र मोह में इतने पागल हो गए थे कि उन्हें इस बात की समझ ही नहीं आई कि इससे उनके कुल पर क्या प्रभाव पड़ेगा। जैसे ही युद्ध समाप्त हुआ विदुर हस्तिनापुर छोड़ कर एक नदी किनारे आकर बस गए। इस टापू पर उन्होंने अपनी कुटिया बनाई और वहीँ रहने लगे। इसी कारण से इस जगह का नाम विदुर कुटी पड़ गया।

ये वही जगह है जहाँ भगवान् श्री कृष्ण ने बथुए का साग खाया था। आज भी यह 12 महीने बथुआ मिलता है और हरा भरा रहता है। विदुर कुटी से गंगा नदी लगभग एक किलोमीटर की दुरी पर है, लेकिन विदुर की तपोस्थली को स्पर्श करने साल में एक बार गंगा नदी एक बार अवश्य आती है। 

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