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पंजाब के किसानों ने सिंघू बॉर्डर के आस पास की झुग्गीयों में रहने वाले बच्चो के लिए शुरू किया अनौपचारिक स्कूल

किसानों का प्रदर्शन 22 वें दिन भी दिल्ली सीमाओं पर जारी है। कृषि बिलों के वापसी मांग को लेकर आए किसान आंदोलनकारी अब अनेक संसाधनों के साथ काम कर रहे हैं।  इतने संसाधनों के बाद अब सभी पारदर्शकारी केंद्र द्वारा पेश किए गए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन लंबे समय तक जारी रख सकते हैं।

सरकार के साथ किसानों की लगातार बातचीत जारी है ताकि किसानों के मुद्दे को सुलझाया जा सके। लेकिन फिलहाल अभी तक की गई वार्ताओं का कोई हल नहीं निकला है क्योंकि किसानों ने कृषि बिल में किए शंशोधन को मानने से इंकार कर दिया है। उनका मानना है कि वो इन बिलों को वापस लें। यह आंदोलन लंबा खीच सकता है और इसलिए प्रदर्शनकारियों ने एक-दूसरे की मदद करने और विरोध स्थल के आसपास रहने वालों के लिए नए रास्ते ढूंढ लिए हैं। उन्होंने एक दूसरे की हेल्प के लिए सामुदायिक रसोई, चिकित्सा सेवाएं हों या पुस्तकालय जैसी सुविधाओं को शुरू किया है।

जानकारी के लिए बता दें कि पंजाब के आनंदपुर साहिब के किसानों के एक समूह ने एक बड़ा कारनामा कर दिखाया है। इस समूह ने सोमवार को सिंघू सीमा के आस पास बनी झुग्गीयों वाले बच्चों के लिए एक अनौपचारिक स्कूल शुरू किया है।

पायनियर के एक पत्रकार ने लिखा कि अस्थायी स्कूल विरोध स्थल पर पेश किए जाने वाले कई ‘सीवा’ प्रथाओं का हिस्सा है। इस स्थान पर किसान पिछले 20 से ज्यादा दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं।

स्वयंसेवक सतनाम सिंह ने पीटीआई न्यूज़ एजेंसी को बताया कि, “यहां सब कुछ” सेवा” है। हम यहाँ पिछले दो हफ़्तों से हैं और अपने नोटिस किया कि यहाँ आस पास झुग्गी-झोपड़ियों के कई बच्चों को भोजन के यहाँ वहां भटकते देखा और सोचा कि क्यों न उन्हें भी रचनात्मक तरीके से काम करने में मदद की जाए।”

सतनाम ने बताया कि हम किसानों के बीच कुछ शिक्षित लोग भी हैं, जिनके पास स्नातक या पीएचडी की डिग्री है, वो इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं। अस्थायी स्कूल में पहले से ही 60-70 बच्चे सभी आगे ग्रुप के शामिल हैं, जो हर दिन पढ़ने, लिखने, कहानियों को सुनने और सुनने के लिए वहां आते हैं।

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बच्चों को हिंदी में स्टोरीबुक्स उपलब्ध कराई गई हैं क्योंकि स्थानीय बच्चे वही भाषा बोलते हैं। सतनाम सिंह ने पीटीआई को बताया कि “पहले दिन हमें उन्हें जूस और नमकीन देकर यहांआने के लिए फुसलाया और कहा कि यहां आकर पढ़ाई करो, लेकिन पिछले दो दिनों से वे खुद पढ़ने के लिए आ रहे हैं, और इतना ही नहीं साथ में अपने दोस्तों को भी लेकर आए हैं।”

किसानों ने टिकरी सीमा विरोध स्थल पर भी इसी तरह की सुविधा की व्यवस्था की है। शाम  को हम यहाँ बनाए गए तम्बू में इकट्ठे होते हैं, जैसे पुराने समय में सभी बुजुर्ग लोग होते थे। यहाँ हम आगे की रणनीतियां भी तय करते हैं। हम जब तक यह सेवा जारी रखेंगें जब तक सरकार हमारी मांगों को नहीं मान लेते। हम कितनी सर्दी हो अपनी बात और इरादों पर टिके रहेंगें। आपको बता दें ये सभी किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के रहने वाले हैं।

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