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Ozone layer को लेकर वैज्ञानिकों का बड़ा दावा; कहा – परत पर बना छेद हुआ ठीक

कोरोना की वजह से पूरी दुनिया में हाहाकार मचा हुआ है। हर रोज विश्वभर से कोरोना से मरने वालों की बुरी खबर आ रही हैं। इन बुरी खबरों में अब इस माहमारी के बीच एक अच्छी खबर भी आ रही है। वैज्ञानिकों के मुताबिक़ ऐसा कहा जा रहा है कि पृथ्वी की Ozone layer सालों से जो खराब हालत में थी जिसमें धीरे-धीरे सुधार हो रहा था अब पूरी तरह से ठीक हो चुकी है। Ozone layer  में बना बड़ा छेद अब पूरी तरह से ठीक हो गया है। वैज्ञानिकों ने साफ़ दावा किया है कि आर्कटिक के ऊपर एक मिलियन वर्ग  किलोमीटरमें जो छेद बना था अब बंद हो चुका है। अप्रैल के शुरुआत में वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया था की Ozone layer में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। ऐसा कहा जा रहा था कि ये यह छेद ऐसे नहीं बल्कि होल नार्थ पोल पर कम तापमान होने की वजह से बना था। 

Ozone layer का काम 

Ozone layer सूरज से छोटे तरंग दैर्ध्य और अत्यधिक खतरनाक पराबैंगनी विकिरण (UVR) के लिए एक फिल्टर के रूप में कार्य करती है, जो पृथ्वी पर जीवन को उसके संभावित हानिकारक प्रभावों से बचाती है। जब आकाश साफ होता है, तो पृथ्वी की सतह पर मापा जाने वाले स्ट्रैटोस्फेरिक ओजोन और सौर यूवीआर के बीच एक विपरीत संबंध होता है।

पराबैगनी किरणें हमारी त्वचा के लिए हानिकारक होती है और इससे हमें त्वचा कैंसर होने का खतरा बना रहता है। ऐसा कहा जा रहा था कि यदि Ozone layer पर बना छिद्र साउथ की तरफ अधिक बढ़ जाए तो लोगों के लिए बड़ा खतरा उत्पन्न हो सकता है। 

Copernicus Atmosphere Monitoring Service एवं Copernicus Change Service ने की पुष्टि

यूरोपीय आयोग की तरफ से लगाये गये Copernicus Atmosphere Monitoring Service एवं एवं Copernicus Change Service ने इस बात की पुष्टि की है। उनके कहे अनुसार ही यह जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है कि North Pole पर बना यह छेद अपने आप ही ठीक हो गया है। एजेंसी ने यह बात खुद अपने ट्वीटर अकाउंट के माध्यम से साझा की है। 

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क्या Lockdown है वजह

जैसा कि आप जानते हैं कि ये Corona के चलते सम्पूर्ण विश्व में lockdown की स्तिथि बनी हुई है। कुछ लोगों का कहना है कि  lockdown  के कारण Ozone layer ठीक हो रही है, जबकि ऐसा नहीं है। पृथ्वी की ओजोन परत के ठीक होने का कुछ और हैं इसका संबंध प्रदूषण में कमी आना नहीं है। वैज्ञानिकों के मुताबिक़ इसके ठीक होने की कारण पोलर वोर्टेक्स है। जिसकी वजह से ध्रुवीय क्षेत्रों में ठंडी हवा चलती है। कॉपरनिकस ने यह दावा किया है कि इस साल का पोलर वर्टेक्स काफी मजबूत रहा और इसी से ओजोन पर काफी फर्क पड़ा है। वर्टेक्स के चलते स्ट्रैटोस्फेरिक परतें तैयार हुई,  जिसने CFC गैसों के साथ रिएक्शन कर के ओजोन परत को खत्म कर दिया। 

इसी समय, ध्रुवीयता अब शीर्ष को प्रभावित कर रही है, जिसके कारण सामान्य स्थिति ओजोन परत पर वापस आ गई है। हालांकि कोपर्निकस ने इस बात पर भी जोर दिया है कि वर्टेक्स फिर से तैयार हो सकता है, लेकिन इस बार यह ओजोन परत को ज्यादा प्रभावित नहीं करेगा।

आपको बता दें वैज्ञानिकों ने इस Ozone layer के छिद्र को अब तक के सबसे बड़े छिद्र के रूप में परिभाषित किया था।

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