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Happy birthday Sourav Ganguly: भारतीय क्रिकेट टीम का वो कप्तान जिसने टीम इंडिया को फिर से विदेशों में जीतने की उम्मीद दी

भारत के क्रिकेट के जाने माने नाम में से एक नाम है Sourav Ganguly।  जो ‘दादा’ के नाम से भी जाने जाते हैं और भारतीय क्रिकेट के मशहूर हस्ती में से एक है। ये इंडियन क्रिकेट का वो पहला चेहरा थे जिन्होंने टीम को विदेशों में मैच जीतने का विश्वास दिलाया।

आज प्रिंस ऑफ कोलकाता यानी Sourav Ganguly का जन्मदिन है। आज जो बुधवार यानी 8 जुलाई, 2020 को वो 48 वर्ष के हो गए हैं। 2000 के दशक की शुरुआत में, वो भारत के क्रिकेट टीम के लिए एक गेम चेंजर बने थे।

Sourav Ganguly ने उस समय कप्तानी संभाली जब भारतीय क्रिकेट टीम एक बुरे दौर से गुजर रही थी। गांगुली टीम के वो कप्तान थे जिन्होंने टीम को मैच फिक्सिंग वाले विवादों से बाहर निकाला था। फिलहाल वो बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में काम कर रहे हैं। उन्होंने कप्तान बने रहने पर भारत के कुछ महानतम मैच विजेता जैसे युवराज सिंह, हरभजन सिंह, वीरेंद्र सहवाग, जहीर खान और महेंद्र सिंह धोनी को खेलने का मौका प्रदान किया था।

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गांगुली ने टीम में रहते हुए लगभग 146 एकदिवसीय मैच खेले जिसमें से उन्होंने 76 मैच पर जीत हासिल की और 65 मैच में हार का सामना किया। जबकि 5 मैच बिना किसी नतीजे के गए। दादा का एकदिवसीय जीत का प्रतिशत अब तक 53.90 रहा है।

इतना ही नहीं, उन्होंने  सफेद जर्सी में टीम का मार्गदर्शन कर 21 के 21 मैचों में जीत हासिल की। उनकी टेस्ट टीम ने 13 मैच गंवाए और 15 मैच ड्रा / ड्रॉ कराए, जिससे उनका टेस्ट जीत प्रतिशत 42.85 हो गया।

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हर इंसान हारे बिना  जीत के शिखर पर नहीं पहुंचता। ऐसा ही कुछ दादा यानी सौरभ गांगुली के साथ हुआ था। उन्होंने टेस्ट और एकदिवसीय रिकॉर्ड्स में 51 मैच खेले जिसमें से उन्होंने 24 मैचों में जीत हासिल कर एकदिवसीय टीम का नेतृत्व किया।  कई मैचों में हार जाने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी।

दूर के टेस्ट में सौरव् गांगुली ने 28 मैचों में कप्तानी की पोजीशन संभाली जिसमें वो 11 में जीत गए थे लेकिन उन्हें 10 अपने हाथ से गंवाने पड़े। उनकी टीम ने 7 रेड-बॉल मैचों में ड्रॉ किया।

भारत को विदेशी धरती पर जीत दिलाने का श्रेय बल्कि इन्ही की कप्तानी को जाता है। यह बात तब साबित हुई जब 2002 में नेटवेस्ट सीरीज़ की शुरुआत हुई। इंग्लैंड के खिलाफ भारत ने शानदार जीत हासिल की। इसके बाद से उन्होंने पूरे विश्व के लाखों क्रिकेट प्रशंसकों के दिमाग में अपनी एक बेहतरीन छवि बना ली। 

इसके ठीक एक साल बाद भारत की क्रिकेट की टीम विश्व कप 2003 के फाइनल में पहुंची।  यह बात बहुत ही साधारण लगती है लेकिन ऐसा है नहीं। यह एक विशेष उपलब्धि थी क्योंकि 1983 के बाद भारतीयों को कप उठाने की उम्मीद न के बराबर थी । हालांकि, फाइनल मैच बहुत ही रोमांचक था और मुकाबला ऑस्ट्रेलियाई टीम के साथ था। एक मजबूत टीम के साथ दादा ट्रॉफी को घर लाने में कामयाब नहीं हो पाए। 

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लेकिन वो यही हार मानने वालों में से नहीं थे। भारत के ऑस्ट्रेलिया 2003-04 के दौरे में, उन्होंने 1 मैच जीता और 1 हारने के बाद इस सीरीज को ड्रॉ किया, जबकि पाकिस्तान में, द्रविड़ ने 1-1 से टेस्ट सीरीज़ पर कब्जा किया और दादा ने डिकोडर मैच में टीम की कप्तानी की और 2-1 से सीरीज़ अपने नाम की।

राहुल द्रविड़ ने उनकी कप्तानी की सराहना करते हुए एक बार कहा था, “सबसे पहले, भगवान, फिर Sourav Ganguly।”

वो उस समय भारत की बिखरती टीम के लिए एक उम्मीद थे। देश की टीम को जिसने विश्वास दिलाया कि वो अब भी इतने काबिल हैं कि टीम को विश्व कप की ट्राफी जीता सकें। उनके इस जन्मदिन पर BCCi ने ट्विटर हैंडल पर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी। हमारी तरफ से भी इस महान खिलाड़ी को जन्मदिन की ढेरों बधाइयां। 

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