Starship 3rd Launch Test: 46 मिनट उड़ा, आखिर में खत्म हुआ, दुनिया का सबसे भारी रॉकेट तीसरे टेस्ट में लगभग पास! देखें Video
Starship 3rd Launch Test: एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) सफलता की नई इबारत लिख सकती है। दुनिया के सबसे भारी रॉकेट को लॉन्च करने का उसका टेस्ट करीब-करीब हो गया है। इस बार कामयाबी मिलती दिख रही है, क्योंकि रॉकेट ने ना सिर्फ उड़ान भरी, बल्कि पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री भी की। हालांकि री-एंट्री के दौरान स्टारशिप का संपर्क टूट गया और वह पहुंच से गायब हो गया। इसके बावजूद स्पेसएक्स और एलन मस्क उत्साहित हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मस्क ने लिखा है कि स्टारशिप, मानवता यानी इंसानों को एक दिन मंगल ग्रह पर लेकर जाएगा।
स्टारशिप रॉकेट ने जब पृथ्वी के वायुमंडल में री-एंट्री की, उस वक्त का वीडियो भी सामने आया है। इसमें रॉकेट को री-एंट्री करते हुए देखा जा सकता है। रॉकेट एक लाल गर्म लौ से ढकता हुआ नजर आता है, जिसे सुपर हॉट प्लाज़्मा फील्ड ग्रोइंग कहते हैं। रॉकेट की री-एंट्री पूरी तरह कामयाब नहीं हुई, क्योंकि कमांड सेंटर के साथ उसका संपर्क टूट गया।
Watch the super hot plasma field grow as Starship re-enters the atmosphere! pic.twitter.com/to4UOF2Kpd
— Elon Musk (@elonmusk) March 14, 2024
अच्छी बात यह रही कि दुनिया का सबसे भारी रॉकेट करीब 46 मिनटों तक उड़ता रहा। बताया जाता है कि लाल गर्म लौ से ढके होने के दौरान धरती तक डेटा रिले करना किसी रॉकेट के लिए मुश्किल होता है, लेकिन स्टारशिप ऐसा करने में कामयाब रहा। उसने स्पेसएक्स के स्टारलिंक इंटरनेट सैटेलाइट का यूज किया। बताया जा रहा है कि संपर्क टूटने के बाद स्टारशिप लगभग हवा में खत्म हो गया। उसका बूस्टर भी अभी नहीं मिला है।
क्या है स्टारशिप रॉकेट
स्टारशिप एक रीयूजेबल रॉकेट है। इसमें मुख्य रूप से दो भाग हैं। पहला है- पैसेंजर कैरी सेक्शन यानी जिसमें यात्री रहेंगे, जबकि दूसरा है- सुपर हैवी रॉकेट बूस्टर। स्टारशिप और बूस्टर को मिलाकर इसकी लंबाई 394 फीट (120 मीटर) है। जबकि वजन 50 लाख किलोग्राम है। जानकारी के अनुसार, स्टारशिप रॉकेट 1.6 करोड़ पाउंड (70 मेगान्यूटन) का थ्रस्ट उत्पन्न करने में सक्षम है। यह नासा के स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) रॉकेट से लगभग दोगुना अधिक है।
स्टारशिप की कामयाबी से क्या होगा?
अगर स्पेसएक्स अपने लॉन्च में सफल होती है, तो भविष्य में इस रॉकेट की मदद से इंसानों और जरूरी साजो-सामान को चंद्रमा और मंगल ग्रह तक ले जाया जा सकेगा। ऐसा हुआ तो इंसान सिर्फ पृथ्वी तक सीमित ना होकर मल्टीप्लैनेटरी प्रजाति बन जाएगा। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, आर्टिमिस मिशन के तहत इंसानों को चांद पर भेजने की योजना बना रही है। चांद के बाद मंगल ग्रह पर इंसानों को भेजने की योजना है। अगले कुछ दशकों को इस प्लान को पूरा करने के लिए स्टारशिप जैसे रॉकेट बहुत काम आ सकते हैं।