टिकटोक यूजर्स के वीडियो में मंगल ग्रह पर इंसान होने के दावे का क्या है सच? जानें
क्या मंगल ग्रह पर रहते थे इंसान? टिकटोक पर इन दिनों एक वीडियो वायरल हो रहा है। इस वीडियो के अनुसार, ऐसा दावा किया जा रहा है कि मंगल ग्रह पर मानव रहते थे जो एक क परमाणु युद्ध में मारे गए।
जी हाँ!! एक टिकटॉक उपयोगकर्ता ने इस बात दावा भी किया है। टिकटोक प्लेटफॉर्म के बाद यह वीडियो अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर भी वायरल हो रहा है। इस वीडियो के मुताबिक़ न्यूज़वीक की एक रिपोर्ट में दिखाया है कि मंगल पर युद्ध एक परमाणु सर्दी का कारण बन सकता है, जिसके परिणामस्वरूप ग्रह का रंग लाल है।
मंगल पर साजिश के सिद्धांत को एक टिकटोक उपयोगकर्ता ‘क्रैकहेडजोएडर्ट’ द्वारा ने इस सिद्धांत को आगे रखा है। वीडियो स्पष्ट रूप से इस सवाल के जवाब में आया कि ‘क्या एक षड्यंत्र सिद्धांत है जो आपके होश उड़ा देता है’।
जानकारी के लिए बता दें सोमवार तक, इस वीडियो को 230,000 से अधिक बार देखा जा चूका है जबकि वीडियो 10,000 से ज्यादा बार साझा की गई है।
TikTok उपयोगकर्ता क्रैकहेडजोएर्ट ने मंगल ग्रह के लाल रंग के पीछे का कारण बताने के लिए एक सिद्धांत प्रस्तुत किया। वैज्ञानिकों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि अरबों साल पहले मंगल की सतह पर पानी बहता था और यहाँ प्राकृतिक संसाधन मौजूद थे।
“मंगल स्वाभाविक रूप से लाल नहीं है, लाख वर्षों के बाद यह लाल रंग में तब्दील हुआ। इसके पीछे का कारण है किसी ग्रह पर अगर पहली बार परमाणु बम गिराया जाता है, तो परमाणु सर्दी होती है। इस परमाणु सर्दी के कारण ही परमाणु विस्फोट होता है, जो इतनी मोटी होती है कि यह सूरज की रोशनी को रोक देती है।
इसके बाद सभी प्राकृतिक संसाधनों खत्म हो जाते हैं और ग्रह धूल से लाल हो जाता है। टिकटोक यूजर ने कहा कि मेरा सिद्धांत है कि मंगल ग्रहके सभी प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट किसी परमाणु बमों द्वारा किया गया है।
न्यूज़वीक ने बताया कि इस तरह की थ्योरी अक्सर वायरल होती हैं और सभी थ्योरी अलग-अलग होती है क्योंकि प्रश्न में समय का पैमाना अरबों साल का होता है। परमाणु सर्दी को साफ करने में सैंकड़ों हजारो साल लग जाते हैं।
16 मार्च को साइंस जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में बताया गया कि मंगल पर पानी तीन अरब साल पहले की हो सकती हो। इसके अलावा स्मिथसोनियन नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री द्वारा पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दो पैरों पर चलने में सक्षम मानव केवल चार मिलियन साल पहले ही उभरा था।
इस रिपोर्ट में आगे बताया गाय है कि मंगल ग्रह के लाल होने का कारण यहाँ की सतह जंग लगी लोहे की आक्साइड से ढकें होना है ना कि परमाणु सर्दी।
नासा के वैज्ञानिकों का मानना है कि मंगल ग्रह लोहे के ऑक्साइड में ढका हुआ है इसलिए वो लाल दिखाई देता है और पृथ्वी लाल इसलिए लाल नहीं हो सकती क्योंकि वो मंगल ग्रह की तुलना में काफी बड़ी है। मंगल ग्रह पर गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी से बेहद कमज़ोर है।