Corona की रोकथाम के लिए सरकार क्यों नहीं कर रही पहल? – Dr. Ved Pratap Vedic
Corona का कहर पुरे विश्व पर बना हुआ है। न जाने यह बिमारी कब खत्म होगी, इस बारे में किसी को कोई भी आइडिया नहीं है। अमेरिका की रिसर्च एजेंसी का कहना है कि अनुमान यह है कि यह बीमारी 1 अरब लोगों को अपनी चपेट में लेगी। WHO की एक वैज्ञानिक जिसका नाम Soumya Swaminathan है वो बताती हैं कि एक बिमारी को अब महामारी का रूप ले चुकी है उसका टीका बनाने में काम से कम से कम दस साल का समय लगता है। अगर आपको ज्ञात हो तो इबोला का वक्सीन भी पांच वर्ष में बनकर तैयार हुआ था।
हालंकि इस बिमारी का इलाज खोजने में दुनियाभर के डॉक्टर और शोधकर्ता लगे हुए हैं। दर्जनों वैज्ञानिक इस माहमारी के वैक्सीन बनाने में लगे हैं जिसमें 1 साल तक का समय भी लग सकता है। यदि यह सच है तो ऐसे में कोरोना का मुकाबला कैसे किया जाए? यह भी तथ्य है कि कोरोना के बहुत से मरीज ठीक भी हो रहे हैं। वे कैसे ठीक हो रहे हैं? हालांकि उनका इलाज किस तरह से या किस दवाई से हो रहा है यह अब तक सुनिश्चित नहीं है। जैसा भी मरीज हो, वैसी ही दवाइयों का संयोग बिठाने की कोशिश की जाती है। जो भी दवाई उन पर काम कर जाए तो वो ठीक हो जाता है नहीं तो डॉक्टर कोई दूसरी प्रकिया शुरू कर देते हैं! अब अमेरिका के रोग-नियंत्रक विभाग ने कोरोना के नए लक्षणों के बारे में भी बताया है। अगर हम पहले के लक्षण देखे जिसमें खांसी, बुखार, छींक आदि शामिल थे, लेकिन अब इनमें हाथ-पांव कांपना, सिरदर्द, मांसपेशियों में अकड़न, गला रुंधना और स्वाद खत्म होना भी शामिल कर दिया गया है।
अगर हम भविष्य की बात करें तो आंकड़े बढ़ भी सकते हैं। आने वाले समय में भारत और पाकिस्तान जैसे देशों में भी संक्रमित रोगियों की संख्या लगातार बढ़ सकती है। हाँ, यहां इसका विस्तार इतना तेजी से नहीं हुआ है जितना अमेरिका और यूरोप में हुआ था, लेकिन हम धीरे-धीरे उसी और बढ़ते जा रहे हैं। हमारे यहां इसकी संख्या शायद इसलिए भी कम दिखाई पड़ती है कि इन देशों की तरह हमारे यहां खुला खाता नहीं है। कई बातें छिपाई जाती है और हमारे यहां कोरोना की जांच भी बहुत कम हुई हैं। ऐसे हालत में रोगियों की संख्या भी कम ही बताई जा रही होगी। सरकार ने लोगों को मुँह पर मास्क पहनने, हाथों को बार बार धोने और घर में रहने की सलाह तो जरूर दी है। अब देखते हैं यह कब तक इस समस्या से हमें बचा पाता है।

Dr. Ved Pratap Vedic के अपने विचार – उनकी जुबान लड़खड़ाती रहती है। वे करोड़ों लोगों को घरेलू नुस्खे (काढ़ा वगैरह) लेने के लिए क्यों नहीं कहते ? हवन-सामग्री के धुंआ से संक्रमण को नष्ट क्यों नहीं करवाते ? स्वास्थ्य मंत्रालय और आयुष मंत्रालय को पिछले एक माह में मैंने ठोस विज्ञानसम्मत प्रस्ताव भिजवाए हैं लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ है जबकि अफ्रीका में मेडागास्कर के राष्ट्रपति हमारी आयुर्वेदिक औषधि का प्रचार कर रहे हैं। इस मामले में मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने बाजी मार ली है। वे काढ़ा—चूर्ण के एक करोड़ पूड़े सारे प्रदेश में बंटवा रहे हैं।
(यह पूरा आर्टिकल वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार डॉ. वेद प्रताप वैदिक के फेसबुक से लिया गया है जिसमें हमने कुछ फेरबदल किया है)