Jharkhand ED Raid

मंत्री के सचिव और नौकर के पास मिली 35 करोड़ नकदी, गिनने में लगे 16 घंटे, ED के छापे में मिले इस कैश का क्या होगा

Jharkhand ED Raid: एक नौकर के पास इतनी नकदी मिली है कि उसे गिनने में 16 घंटे लग गए। इन नोटों को लोगों ने नहीं गिना। 8 मशीनों ने नोटों के इस पहाड़ यानी 35 करोड़ की नकदी को गिना। दरअसल, प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम ने सोमवार को रांची में झारखंड के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के पर्सनल सेक्रेटरी संजीव लाल और उसके नौकर जहांगीर आलम से जुड़े 9 ठिकानों पर छापेमारी की।

इस छापेमारी में 35 करोड़ रुपए की नकदी मिली, जिन्हें टिन के 12 बक्सों में भरकर रखा गया। कुल 35.23 करोड़ रुपए की जब्त नकदी में से 32 करोड़ रुपए से ज्यादा की नकदी तो एक जगह से मिली, जबकि बाकी के 3 करोड़ दूसरे ठिकानों से मिले। इन्हें गिनने के दौरान मशीनें भी थक जा रही थीं। इस बीच मंगलवार को ईडी के अधिकारियों ने रांची में फिर छापेमारी की। इसमें ठेकेदार राजीव कुमार सिंह के ठिकाने से डेढ़ करोड़ रुपए बरामद किए गए हैं। आज हम यह समझेंगे कि ईडी द्वारा जब्त की गई संपत्ति और नकदी का क्या होता है? आखिर कहां रखी जाती है यह जब्त संपत्ति?

जो भी नकदी मिलती है, उसका ED क्या करता है?

ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी भी संपत्ति या नकदी को जब्त करने का अधिकार है। मगर, वह इसे अपने पास नहीं रख सकता है। सुप्रीम कोर्ट में एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत बताते हैं कि प्रोटोकॉल के अनुसार, जब ईडी किसी आरोपी के घर से नकदी जब्त करता है तो वह आरोपी को यह मौका देता है कि वह अपनी नकदी का सोर्स बताए। जैसे मान लीजिए कि नौकर के पास से 35 करोड़ रुपए की नकदी मिली है तो उसे इन पैसों का सोर्स ईडी को बताना होगा। इसके सबूत देने होंगे। अगर वह इन सबके बारे में कोई सबूत देने में फेल रहता है तो ईडी इस नकदी या संपत्ति को ब्लैक मनी मानेगा। इसके बाद इस फंड को प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जब्त कर लेगा। इन पैसों को तब अनअकाउंटेड और इल गॉटेन मनी कहा जाता है।

नकदी जब्त करने के बाद स्टेट बैंक के अधिकारियों से कराई जाती है गिनती

एडवोकेट अनिल सिंह श्रीनेत कहते हैं कि एक बार जब कालेधन के रूप में घोषित यह नकदी जब्त कर ली गई तो स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अफसरों और कर्मचारियों को बुलाया जाएगा, जो ईडी की निगरानी में जब्ती नोटों की गिनती करेंगे। वो लोग अपने साथ काउंटिंग मशीन लेकर आते हैं, जिसके बाद यह गिनती शुरू होती है। नोटों की गिनती पूरी होने के बाद ईडी अफसर बैंक अफसरों की मौजूदगी में जब्ती सामानों और नकदी की लिस्ट बनाते हैं, जिसे सीजर लिस्ट कहते हैं। इस लिस्ट में कैश, ज्वैलरी और दूसरी महंगी वस्तुएं होती हैं।

500 और 100 के नोटों में रखा जाता है गिनती का रिकॉर्ड

ईडी द्वारा जब्त की गई नकदी को 2000, 500 और 100 रुपए के नोटों के रूप में रखा जाता है। इसके बाद इन नोटों को गवाहों के सामने बड़े-बड़े लोहे या टीने के डिब्बों में रखकर सील किया जाता है। इसी उसी राज्य के बैंक की ब्रांच तक सुरक्षित पहुंचाया जाता है। जहां इसे एजेंसी के पर्सनल डिपॉजिट अकाउंट में रखा जाता है। इसके बाद आरोपी दोषी साबित हो गया तो इस फंड को केंद्र
सरकार के खजाने तक पहुंचा दिया जाता है।

अगर आरोपी दोषी साबित हो गया तो क्या होगा इन पैसों का

अगर कोई आरोपी मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में दोषी साबित हो गया या उसे कोर्ट से सजा मिल जाती है तो जब्त की गई नकदी को सार्वजनिक धन मान लिया जाता है। मुकदमा चलने के दौरान वो पैसे वहीं रखे रहेंगे। अगर आरोपी अदालत से बरी हो गया तो उससे प्राप्त की गई नकदी उसे लौटा दी जाएगी।

वॉशिंग मशीन में मिली थी करोड़ों की नकदीइससे पहले ईडी ने मार्च में दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, कुरुक्षेत्र और कोलकाता में कई जगह पर छापे मारे। टीम मकरियनियन शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड और इसके डायरेक्टर्स विजय कुमार शुक्ला और संजय गोस्वामी और संबंधित संस्थाओं लक्ष्मीटन मैरीटाइम के परिसरों पर रेड डाली।

इस रेड के दौरान ईडी ने वॉशिंग मशीन से 2.54 करोड़ रुपए के कैश बरामद किए हैं। लेकिन ये ऐसा कोई पहला मामला नहीं है। देश के धनकुबेरों के खजाने पहले भी कई बार खुल चुके हैं। शराब बनाने वाली ओडिशा की एक कंपनी के समूह से जुड़े कई ठिकानों पर पिछले साल दिसंबर में आयकर विभाग ने रेड की थी। ये छापेमारी 6 दिन तक चली थी। इस रेड में कुल 353 करोड़ रुपए की बेहिसाब नकदी बरामद की गई। देशभर में किसी जांच एजेंसी की महज एक कार्रवाई के तहत बरामद की गई यह अब तक कि सर्वाधिक धनराशि थी।

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