Elon Musk ने कर दिखाया! Neuralink ने इंसान के दिमाग में लगा डाली ‘चिप’, क्या काम करेगी? जानें
क्या Elon Musk अपने मकसद में कामयाब हो गए हैं! ऐसा लगता है कि उनकी कंपनी न्यूरालिंक को बड़ी कामयाबी मिल गई है। Neuralink ने कुछ महीनों पहले लोगों से आवेदन लेने शुरू किए थे, जिनके दिमाग में ‘चिप’ लगाई जा सके। हजारों ऐप्लिकेशन में से शॉर्ट लिस्ट करने के बाद कंपनी ने अपना पहला ह्यूमन ब्रेन इम्प्लांट (मानव मस्तिष्क प्रत्यारोपण) किया है। कंपनी को इस काम के लिए पहले ही FDA से मंजूरी मिल गई थी। आखिर क्यों Neuralink इंसानों के दिमाग में चिप लगा रही है, आइए जानते हैं।
मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में एलन मस्क ने कहा कि पहले इंसान में कल @Neuralink को इम्प्लांट किया गया। वह अच्छी तरह से ठीक हो रहा है। शुरुआती रिजल्ट में आशाजनक न्यूरॉन स्पाइक का पता लगा है।
The first human received an implant from @Neuralink yesterday and is recovering well.
— Elon Musk (@elonmusk) January 29, 2024
Initial results show promising neuron spike detection.
करना क्या चाहते हैं Elon Musk?
Elon Musk की कंपनी न्यूरालिंक ऐसी डिवाइस मार्केट में लाना चाहती है, जो कंप्यूटर, मोबाइल फोन को सीधे मस्तिष्क की गतिविधि से कंट्रोल कर सके। यानी आप सिर्फ सोचकर अपना स्मार्टफोन चला सकेंगे। इस डिवाइस का सबसे ज्यादा फायदा दिव्यांग लोगों और पैरालाइसिस की चपेट में आए लोगों को होगा।
क्या दावा कर रही है Neuralink
न्यूरालिंक का कहना है कि उसका मकसद न्यूरोलॉजिकल विकारों से पीड़ित लोगों के लिए जीवन को आसान बनाना है। इसमें उसे कितनी सफलता मिलेगी, इसका अनुमान अभी नहीं लगाया जा सकता। पिछले साल फरवरी में पता चला था कि कंपनी की चिप को जब बंदरों पर प्रयोग किया गया तो कई बंदरों की मौत हो गई थी। कंपनी पर पशु-क्रूरता के आरोप लगे थे। हालांकि मस्क ने आरोपों को खारिज कर दिया था।
पिछले साल मई में कंपनी को इंसानों पर टेस्ट की मंजूरी दी गई थी। अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने इन-ह्यूमन क्लिनिकल ट्रायल के लिए मंजूरी दी, जिसके बाद अब पहला इम्प्लांट किया गया है।
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कैसा है Neuralink का प्रयोग
इसका नाम ‘प्राइम स्टडी’ है, जो 6 साल चलने वाला एक्सपेरिमेंट है। कंपनी ने 4mm-स्क्वायर की चिप बनाई है। इसे N1 कहा जाता है। इसे दिमाग के अंदर लगाया जाता है। चिप में लगे तार दिमाग तक पहुंचते हैं और उसके संकेतों को रिसीव करते हैं।