Orionids

अंतरिक्ष से अक्टूबर के इन दो दिनों में टूटेंगे सैकड़ों तारे! दिखेगा अद्भुत नजारा ../

अक्टूबर महीना अद्भुत खगोलीय घटनाओं का गवाह बन रहा है। हाल ही में दुनिया ने साल का सबसे अद्भुत और सबसे खूबसूरत सूर्य ग्रहण देखा। हालांकि यह ग्रहण अमेरिका में ही सबसे ज्यादा दिखाई दिया था, लेकिन ऑनलाइन स्ट्रीम के जरिए भी यह पूरी दुनिया में देखा गया। अब इसके बाद फिर से एक अद्भुत नजारा आसमान में दिखाई देने वाला है। 22-23 अक्टूबर को आसमान में टूटते तारों की बारिश होने वाली है। जी हां, उल्का पिंडों की बारिश का अद्भुत नजारा 23 अक्टूबर को देखा जा सकता है।

इसे ओरियोनिड्स (Orionids) उल्का पिंड बौछार कहा गया है

इसे ओरियोनिड्स (Orionids) उल्का पिंड बौछार कहा गया है। BBC के अनुसार, यह एक ऐसी खगोलीय घटना है जो हर साल दिखाई देती है। अक्टूबर के महीने में जब धरती जब हैले धूमकेतू (Halley’s Comet) के मलबे को पार करती है तो यह नजारा दिखाई पड़ता है। यह बौछार यूं तो 22 नवंबर तक जारी रहेगी, लेकिन २२ अक्टूबर के बाद यह उत्तरी गोलार्ध में अपने चरम पर होगी। इनका नाम ओरियॉन तारामंडल के नाम पर पड़ा है। ये ऐसे दिखाई पड़ते हैं जैसे ओरियॉन तारामंडल से टूट कर गिर रहे हों।

नासा कहती है कि Orionids 66 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से आसमान में से गुजरते हैं। इनकी कम स्पीड इन्हें आसमान में देर तक दिखने के लिए उपयोगी बन जाती है और ये एक अद्भुत नजारा बनाते हैं। उल्का पिंडों के बारे में कहा जाता है कि ये धूमकेतुओं के बचे हुए अवशेषों के रूप में गिरते हैं, या फिर एस्टरॉयड का भी कुछ हिस्सा गिर जाता है। उल्काओं की ये बारिश तब दिखती है जब ये धरती किसी धूमकेतु के मलबे से होकर गुजरती है, ऐसे में ये उल्का पिंड पृथ्वी के वायुमंडल के प्रभाव में आकर जलने लगते हैं और आसमान में हो रही आतिशबाजी की तरह दिखते हैं।

इस दौरान हर घंटे कम से कम 20 उल्का पिंड गिरते देखे जा सकते हैं

कहा गया है कि इस दौरान हर घंटे कम से कम 20 उल्का पिंड गिरते देखे जा सकते हैं। इन्हें देखने के लिए किसी खास उपकरण जैसे टेलीस्कोप आदि की जरूरत भी नहीं होगी। ये नंगी आंखों से देखे जा सकते हैं। इन्हें देखने के लिए किसी अंधेरे स्थान पर जाना चाहिए, और ऐसी जगह का चुनाव करना चाहिए जहां से चंद्रमा भी आसमान में दिखाई न पड़ रहा हो। उल्का बौछारों को देखने के लिए व्यक्ति को कम से कम आधा घंटा पहले किसी अंधेरे स्थान पर चले जाना चाहिए, ताकि आंखों में अंधेरे के अंदर देखने की सहजता आ सके।

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