क्या पुंछ हमले के पीछे लश्कर के आतंकी थे? खूफिया सूत्रों का दावा- PoK से मिले थे सेना पर अटैक के निर्देश
Poonch Terror Attack: जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में शनिवार शाम वायुसेना के काफिले पर हमले में शामिल आतंकियों की तलाश में सुरक्षाबलों ने बड़ा अभियान चलाया है। सुरनकोट के शाहसितार इलाके में हुए इस हमले की जगह के 20-25 किलोमीटर के दायरे में सेना, जम्मू-कश्मीर पुलिस और SOG के एक हजार से ज्यादा जवान तलाशी में जुटे हैं। पूछताछ के लिए कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। शक है कि इस हमले के पीछे लश्कर-ए-तैयबा का हाथ हो सकता है। आतंकियों की संख्या कम से कम चार मानी जा रही है। खुफिया सूत्रों ने बताया कि आतंकियों के इसी समूह ने पिछले साल 21 दिसंबर को इसी इलाके में घात लगाकर हमला किया था, जिसमें चार जवान शहीद हुए थे और तीन घायल हुए थे।
माना जा रहा है कि PoK में बैठे लश्कर के ऑपरेशनल कमांडर साजिद जट्ट उर्फ हबीबुल्ला मलिक उर्फ साजिद लंगड़ा ने यह हमला करवाया है। इस हमले में एक वायुसैनिक शहीद हुआ और चार अन्य घायल हैं। घात लगाकर हुए इस हमले के बाद आतंकी जंगल में भाग गए थे। उनकी तलाश में सेना के हेलिकॉप्टर, ड्रोन और कुछ अन्य खास गैजेट की मदद ली जा रही है। आंतकियों ने हमले में AK असॉल्ट राइफलों, अमेरिकी M4 कार्बाइन और स्टील की गोलियों का इस्तेमाल किया है। जवानों के सीने, सिर और गर्दन में गोलियां लगी हैं।
‘अगले महीने बेटे के बर्थडे पर जाने वाले थे’
वायुसेना ने बताया कि पुंछ में 33 वर्षीय कॉरपोरल (Corporal) विक्की पहाड़े शहीद हुए। वह छिंदवाड़ा के नोनिया कोरबल के रहने वाले थे। घरवालों ने बताया कि वह अगले महीने इकलौते बेटे हार्दिक के बर्थडे पर गांव पहुंचने वाले थे, लेकिन शहादत की खबर आई। वह पिछले महीने बहन की शादी में घर गए थे और 18 अप्रैल को ही ड्यूटी जॉइन की थी। परिवार में पत्नी रीना, 5 साल का बेटा और तीन बहनें हैं। विक्की 2011 में वायुसेना में शामिल हुए थे।
पीर पंजाल घाटी क्यों बन रही आतंक का केंद्र
राजौरी, पुंछ, सूरनकोट, सुंदरबनी, नौशेरा …जैसे ये इलाके पीर पंजाल घाटी में आते हैं। ढाई-तीन साल से आतंकियों ने यहां गतिविधियां बढ़ाई हैं। अक्टूबर 2021 में यहीं के जंगलों में दो अलग-अलग आतंकी हमलों में 9 सैनिक शहीद हुए थे। पिछले साल ही दो बार घात लगाकर हुए हमलों में 10 सैनिकों ने वीरगति प्राप्त की थी। जानकारों का कहना है कि जिस तरह से हमले हो रहे हैं, उससे संकेत मिले हैं कि स्थानीय लोगों से भी आतंकियों को मदद मिल रही है।