Pm Modi

कर्पूरी ठाकुर के बाद अब आडवाणी को भारत रत्न, लोकसभा चुनाव से पहले मोदी ने अपने दांव से किस-किस को साध लिया

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार ने महज 10 दिन के भीतर ही बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर और बीजेपी के दिग्गजन नेता लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा कर दी है। Lok Sabha Election की दृष्टि से पीएम मोदी की घोषणा को सियासी रणभूमि में मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। मोदी ने कर्पूरी को भारत रत्न देकर विपक्षी दलों को चौंका दिया था। पीएम मोदी (Pm Modi) के इस कदम को मंडल की राजनीति में सेंध बताया जा रहा था। अब आडवाणी को भारत रत्न की घोषणा के बाद मोदी ने उन लोगों को भी साध लिया है जो मोदी पर आडवाणी को दरकिनार करने का आरोप लगाते रहे हैं।

आलोचकों का बंद हो जाएगा मुंह

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि लाल कृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का निर्णय बीजेपी के लाखों कार्यकर्ताओं को नया उत्साह और ऊर्जा देगा। कार्यकर्ताओं के मन में आडवाणी जी की भूमिका और उनके सम्मान को लेकर पिछले कुछ वर्षों से सवाल रहे हैं। इस कदम से कार्यकर्ताओं में यह संदेश जाएगा कि पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सम्मान की परंपरा को आगे बढ़ाता है। इसके साथ ही यह उन लोगों का मुंह भी बंद करेगा जो आडवाणी जी को लेकर बीजेपी के वर्तमान नेतृत्व की आलोचना करते हैं।

मंडल की राजनीति का जवाब

इससे पहले समाजिक न्याय के पुरोधा महान जननायक Karpoori Thakur जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का फैसले पर राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे थे। कर्पूरी ठाकुर के जन्म-शताब्दी के अवसर पर यह निर्णय देशवासियों को गौरवान्वित करने वाला था। पिछड़ों और वंचितों के उत्थान के लिए Karpoori Thakur की अटूट प्रतिबद्धता और दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक परिदृश्य पर अमिट छाप छोड़ी थी। बीजेपी के इस कदम को विपक्ष के मंडल राजनीति में सेंध बताया जा रहा था। कर्पूरी के मुद्दे पर ही जदयू और राजद में सियासी मतभेद भी सामने आए गए थे। मोदी ने अपने इस दांव से दलितों, वंचितों और उपेक्षित तबकों के बीच सकारात्मक भाव पैदा करने की कोशिश की।

पिछड़े वोटों पर नजर

Pm Modi के इस कदम को विपक्ष की जातिगत जनगणना का जवाब माना जा रहा था। इसके साथ ही राजनीतिक विश्लेषकों का मानना था कि बीजेपी विपक्ष को कोई मौका ही नहीं देना चाह रही थी। कर्पूरी को भारत रत्न की मांग जेडीयू के एजेंडे में शामिल था। बीजेपी को पता था कि राजद के मुस्लिम और यादव समीकरण की काट के लिए उसे अति पिछड़ों का समर्थन जरूरी है। हालांकि, अब तो नीतीश कुमार तो खुद एनडीए के पाले में हैं। ऐसे में अब बीजेपी के लिए दोहरा फायदा मिलने का अनुमान है।

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